बिजनोर हज 2026 ओफिशियल ग्रुप ज्वाइन करें
उमराह करते वक़्त और हज के ५ दिनों में शुरू के ३ दिनों में एहराम पहनना है।
मर्दों का एहराम २ चादरें हैं।
औरतों का एहराम उनके रोज़ाना के कपडे हैं।
मर्दों को एहराम की हालत में सिर्फ २ चादरें पहननी हैं, अंडर गेरमेंट्स भी नहीं पहनने हैं।
मर्दों को एहराम की हालत में अपना सतर छुपाना है , नाफ से ले कर गुठने तक।
एहराम की हालत में एहराम की पाबंदियों का ख्याल रखना है। एक भी पाबन्दी छूट गयी तो दम देना होगा।
एहराम की पाबंदियां - मर्द और औरत के लिए
खुशबु इस्तेमाल नहीं करना , इसमें खुशबु वाला साबुन/हैंड वॉश और शैम्पू इस्तेमाल भी दाखिल है।
नाख़ून नहीं काटना
जिस्म के बाल नहीं निकालना , वज़ू/गुसल करते वक़्त अगर बाल गिरना इसमें शामिल नहीं है।
मियां बीवी का आपस में ख़ास (जिन्सी) ताल्लुक़ वाले अमल/बात /इशारा नहीं करना।
जानवर का शिकार नहीं करना।
एहराम की पाबंदियां - मर्द के लिए
सिले हुवेई कपडे नहीं पहनना
सोते वक़्त भी पैर खुले रखना
सर नहीं ढांकना , सोते वक़्त भी सर पर चादर नहीं डालना ।
ऐसा जूता /चप्पल पहनना जिससे पैर की हड्डी दिखाई दे
एहराम की पाबंदियां - औरत के लिए
चेहरा नहीं ढांकना - धुप की टोपी /कैप इस्तेमाल करके सामने कपडा डाल सकते हैं।
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------
🕋 परिभाषा:
एहराम वह पवित्र अवस्था है जिसमें हर मुसलमान को हज या उमरा शुरू करने से पहले प्रवेश करना होता है। यह केवल विशेष वस्त्र (पुरुषों के लिए दो बिना सिले सफ़ेद कपड़े) ही नहीं, बल्कि पवित्रता और विनम्रता की आध्यात्मिक स्थिति भी है।
✨ एहराम से जुड़ी जानकारियाँ
🔹 अर्थ:
शब्द एहराम अरबी के "हराम (حرام)" से निकला है, जिसका मतलब है पवित्र / निषिद्ध। जब हाजी एहराम की नीयत करता है तो कुछ सामान्य कार्य हराम (वर्जित) हो जाते हैं, जब तक कि हज या उमरा पूरा न हो जाए।
🔹 वस्त्र (कपड़े):
👕 पुरुषों के लिए:
दो बिना सिले सफ़ेद कपड़े
इज़ार (निचला कपड़ा)
रिदा (ऊपरी कपड़ा)
➝ अनुमति नहीं: सिले हुए कपड़े पहनना, सिर ढकना।
🧕 महिलाओं के लिए:
सामान्य शालीन इस्लामी वस्त्र।
चेहरा और हाथ खुले रहेंगे।
किसी विशेष रंग की पाबंदी नहीं है।
🔹 एहराम की नीयत कैसे करें:
1️⃣ पहले ग़ुस्ल (स्नान) करें।
2️⃣ एहराम के कपड़े पहनकर 2 रकअत नफ़्ल नमाज़ पढ़ें।
3️⃣ हज या उमरा की नीयत करें।
4️⃣ तलबिया पढ़ें: 3 मर्तबा.
"लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैक ला शरीक लका लब्बैक, इन्न-ल-हम्दा वन्नि‘मता लका वलमुल्क, ला शरीक लक."
✅ सारांश :
एहराम हज और उमरा का पहला दरवाज़ा है, जो हाजियों को पवित्रता, समानता और अल्लाह की इबादत की याद दिलाता है।
३ वक़्त में आपको तवाफ़ करना है।
उमराह में तवाफ़ करना - एहराम की हालत में
हज के वक़्त - तवाफ़-ए-ज़ियारत - नॉर्मल कपड़ों में (तीसरे दिन से पांचवे दिन तक)
नफ्ली तवाफ़ - नॉर्मल कपड़ों में (जितना चाहे उतना करें)
मक्काः में काबे के अतराफ़ ७ चक्कर लगाने को तवाफ़ कहते है।
७ चक्कर १ तवाफ़ कहलायेगा।
तवाफ़ का एक चक्कर हजर अस्वद से शुरू होता है और हज्रे अस्वद पर ख़तम होता है ।
मस्जिद हरम में हज्रे अस्वद के लिए हरी लाइट दिखाई देगी।
तवाफ़ के वक़्त वुज़ू ज़रूरी है
४ चक्कर के पहले वुज़ू टूट गया तो तवाफ़ शुरू से करना है , ४ के बाद टूटा तो बचे हुवे चक्कर करना है।
रुक्न यमनी स हजर असवद तक रबबना आतीना(आखिर तक) पढ़ें।
मर्द के लिए उम्र के तवाफ़ के पहले तीन चक्कर में पहलवानों की तरह तेज़ रफ़्तार और सीना तान कर चलना है, इसे रमल कहते हैं।
तवाफ़ के वक़्त काबे को नहीं देखना है।
तवाफ़ मताफ़ में से कर सकते हैं और पहली और दूसरी मंज़िल से भी का सकते हैं।
व्हीलचेयर से तवाफ़ नीचे मताफ़ में से नहीं कर सकते।
हज के दिनों के अलावा साल भर नार्मल कपड़ों में मताफ़ में से तवाफ़ नहीं कर सकते।
तवाफ़ के बीच में रुक सकते हैं और पानी वगैरा पी सके हैं।
मर्द औरत तवाफ़ एक साथ करते हैं।
इस बात का ख्याल हो के निगाहों की हिफाज़त हो और गैर मर्द/औरतों से बदन टकराएं नहीं।
तवाफ़ के हर चक्कर के बाद हजर अस्वद का इस्तेलाम (बोसा) देना है , अगर भीड़ हो तो दूर से ही इशारा कर सकते हैं।
तवाफ़ के बाद मक़ामे इब्राहिम के पास या जहाँ कहीं जगह मिले, २ रकअत नमाज़ पढ़नी है।
सिर्फ उमराह और हज के दिनों में तवाफ़ ज़ियारत में के बाद सफा मरवा की सई करना है।
हरम में रात में भीड़ कम होती है , आप इत्मीनान से तवाफ़ कर सकते हैं।
एक तवाफ़ पूरा होने के बाद आप दूसरा तवाफ़ फ़ौरन शुरू कर सकते हैं।
तवाफ़ करते वक़्त एक हैंड बैग/बैक पैक साथ में रखें जिसमें नीचे दी हुवी चीज़ें रखे।
कपडे की(प्लास्टिक की नहीं) सफर की जाये नमाज़/मुसल्ला, प्लास्टिक गर्मी में काफी गरम हो जायेगा।
ड्राई फ्रूट ,बिस्कुट और चिवड़ा
७ दानी की तस्बीह
टिशू पेपर
जूते/चप्पल
वज़ू टूट जाने पर पानी स्प्रे बोतल
तवाफ़ की सुन्नते
१. हजरे अस्वद का इस्तलाम करना - तवाफ़ के हर चक्कर के बाद हजर अस्वद का इस्तेलाम (बोसा) देना है , अगर भीड़ हो तो दूर से ही इशारा कर सकते हैं।
२. इज़्तबा - एहराम में मर्द के लिए सीधा कांधा खुला रहेगा , जिसे इज़्तिबा कहते हैं।
३. पहले ३ चक्कर में रमल करना (जिस तवाफ़ में सइ करना है उसी में इज़्तबा और रमल करना है)
४. आखिर के ४ चक्कर में रमल नहीं करना है , आराम से चलना है
५. हज्रे अस्वद के सामने खड़े होकर दोनों हाथ इस तरह नमाज़ में तक्बीरे तहरीमा क वकत उठाते है वैसा उठाना है.
६. हज्रे अस्वद से तवाफ़ शुरू करना
७. शुरू (पहले) तवाफ़ में हज्रे अस्वद की तरफ मु करना है और बाकि के तवाफ़ चक्कर में सीना और पीठ काबे की तरफ नहीं करना है
८. तमाम चक्कर एक के बाद एक करना है
९. बदन और कपड़ो का नापाकी से पाक होना ज़रूरी है
2 वक़्त में आपको सफा मरवा सई करना है।
उमराह में तवाफ़ के बाद
हज के मौसम में तवाफ़-ए-ज़ियारत के बाद
सफा मरवा 2 पहाड़ियों का नाम है जहाँ हज़रत हाजरा (अ) ने अपने बेटे ईस्माइल के लिए पानी की तलाश में दौड़ लगायी थी। जब हज़रत इब्राहीम अल्लाह के हुकुम से उन्हे और बेटे को विरान जगह छोड कर चले गए।
सई का मतलब किसी काम के लिए कोशिश करना है।
अब ये पहाड़ी दिखाई नहीं देती, सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा दिखाई देता है।
सफा मरवा के दरमियान 7 चक्कर लगाने हैं। सफा से मरवा एक चक्कर है और मरवा से वापस सफा दूसरा चक्कर।
सई बगैर वज़ु के कर सकते हैं।
सफा मरवा के दरमियान ऊपर एक हरी लाइट दिखाई देती है , इस लाइट के नीचे के रास्ते से मर्दों को दौड़ना सुन्नत है।
सफा मरवा पर व्हीलचेयर के लिए अलग जगह है और व्हीलचेयर धकेलने के लिए सर्विस भी मिल जाती है। ये पेड सर्विस है।
सफा मरवा में ए-सी काफी ठंडा होता है।