बिजनोर हज 2026 ओफिशियल ग्रुप ज्वाइन करें
लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैक ला शरीका लका लब्बैक, इन्नल हम्दा वन्नि'मता लका वलमुल्क ला शरीक लक।
तल्बिया (تلبية) हज और उमरा का बहुत ही महत्वपूर्ण ज़िक्र (अल्लाह की याद) है।
यह हाजी की विशेष पुकार और जवाब है, जो अल्लाह के सामने उसकी हाज़िरी और आज्ञाकारिता को दर्शाता है।
---
🌿 1. अल्लाह की पुकार का जवाब
जब हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) को हज का ऐलान करने का हुक्म हुआ, तो अल्लाह ने उनकी पुकार को नस्ल दर नस्ल इंसानों तक पहुँचा दिया।
"लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक" कहने का मतलब है:
"ऐ अल्लाह! मैं हाज़िर हूँ, तेरी पुकार पर हाज़िर हूँ।"
यह अल्लाह के घर की दावत को स्वीकार करने की निशानी है।
---
🌿 2. तौहीद (अल्लाह की एकता) का इज़हार
तल्बिया यह बताता है कि इबादत, नेमतें और बादशाहत सिर्फ अल्लाह के लिए है।
यह शिर्क (अल्लाह के साथ किसी को जोड़ने) को नकारता है और इख़लास (सच्चाई) की पुष्टि करता है।
---
🌿 3. नबी ﷺ की सुन्नत
रसूलुल्लाह ﷺ ने पूरे हज में तल्बिया पढ़ा और सहाबा को भी ऊँची आवाज़ से पढ़ने की तालीम दी।
यह सुन्नत आज भी जारी है।
---
🌿 4. लगातार ज़िक्र
इहराम की हालत में बार-बार तल्बिया पढ़ने से ज़ुबान और दिल अल्लाह की याद में मशग़ूल रहते हैं।
यह हज और उमरा की शुरुआत से ही रूहानी माहौल बना देता है।
---
🌿 5. इबादत, आज्ञाकारिता और विनम्रता की निशानी
"लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक" कहकर हाजी अपने दिल की हालत बयान करता है:
अल्लाह के सामने विनम्रता।
उसके हुक्मों को मानने की तैयारी।
दुनियावी मशग़ूलियतों से दूरी।
---
🌿 6. फ़रिश्ते भी शामिल होते हैं
हदीस में आता है कि जब हाजी तल्बिया पढ़ता है, तो पत्थर, पेड़ और ज़मीन तक उसकी गवाही देते हैं।
यह अल्लाह की महानता की सार्वभौमिक पहचान है।
---
🌿 7. हाजी की पहचान
जैसे अज़ान मुसलमानों की पहचान है, वैसे ही तल्बिया हाजी की पहचान है।
यह बताता है कि यह शख़्स सिर्फ अल्लाह की राह में सफ़र कर रहा है।
---
✅ नतीजा :
तल्बिया सिर्फ एक जुमला नहीं बल्कि हाजी का अल्लाह के लिए वफ़ादारी, मोहब्बत, आज्ञाकारिता और इबादत का इकरार है।
यह हज और उमरा की रूह को बयान करता है — अल्लाह के हुक्म का सच्चाई और तौहीद के साथ जवाब देना।