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हज में ३ फ़र्ज़ और ६ वाजिबात हैं।
2. पहला फ़र्ज़ - एहराम पहनना - एहराम पहन कर मिना में रुकना।
3. दूसरा फ़र्ज़ - अराफात में कम से कम ५ मिनट रुकना
4. तीसरा फ़र्ज़ - तवाफ़ ज़ियारत करना। (पांचवे दिन की मगरिब के पहले तक कर सकते हैं)
5. पहला वाजिब- मुज़दलफा में फज्र तक रुकना
6. दूसरा वाजिब - बड़े शैतान को कंकरी मारना
7. तीसरा वाजिब - कुर्बानी करना
8. चौथा वाजिब - सर के बाल निकालना
9. पांचवा वाजिब - पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे वाजिब को तरतीब से करना
10. छठा और आखिरी वाजिब - तवाफ़ ज़ियारत के बाद सफा मरवा सई करना
हाजी पर ईद की नमाज़ नहीं है, यानि हाजी को ईद की नमाज़ नहीं पढ़ना है।
हज के ५ दिन तफ्सील से जानने के लिए नीचे की लिंक पर क्लिक करें। - https://www.youtube.com/watch?v=JHHnPq07vmE&list=PLikZDolD8H3QmrfS_mstxXt2gQswuZ2JV
हज की निचे दी हुवी ३ क़िस्में हैं, यानी हज ३ तरह का होता है।
हज तमत्तु (अक्सर हाजी यहि हज करते है।) -
मक्काः पहुंचते ही उमराह करके एहराम निकालना
हज के वक़्त फिर से एहराम पहनना।
इंडिया से जाने वाले अक्सर हाजी , हज तमत्तु करते हैं।
हज किरान (हज के दिनो के करिब जाने वाले कर सकते हैं।)-
एक ही इहराम से उमराह और हज करना।
उमराह के बाद हज पूरा होने तक एहराम न निकालना और एहराम की पाबंदियों का ख्याल रखना।
एहराम की चादरें बदल सकते हैं।
उमराह के बाद बाल हलक़ नहीं करना।
हज के तीसरे दिन क़ुरबानी के बाद सर के बाल हलक़ करना और फिर एहराम निकालन।
वो हाजी जिनकी फ्लाइट हज का नज़दीकी दिनों की है , वो हज किरान कर सकते हैं।
हज इफ्राद (इंडिया से जाने वाले हजियों के लिए नही )-
जो हाजी मस्जिद हरम के नज़दीन मीक़ात में रहते हैं , उन हाजियों के लिए हज इफ्राद है।
हज इफ्राद में सिर्फ हज की नियत होती है, उमराह की नहीं।
इंडिया से जाने वाले हाजियों के लिए ये हज नहीं है।
Video Link : https://youtu.be/Gn9kF2NGKY0
हज के पहले दिन से तलबीया शुरु करना है और तीसरे दिन बडे शैतान को कंकरी मारने तक पढना है।
हज के २-३ दिन पहले से आराम करें। ताके हज के ५ दिन पूरी तंदरुस्ती और चुस्ती के साथ आमाल कर पाएं।
हज के ५ दिन में ख़ास तौर पर जिस्मानी तौर पर फिट, दिमागी तौर से स्ट्रॉन्ग और मिज़ाज को ठंडा रखना बहोत ज़रूरी है।
अपना पूरा ध्यान इबादत, दुवा और तौबा इस्तिग़फ़ार में लगाएं।
हज के दिनों में करने वाले कामों की लिस्ट बनायें और काम होने के बाद टिक करते रहें।
तमाम लाखों के तदाद में हाजी, मर्द और औरतें एक साथ एक ही जगह जमा होते हैं।
दूसरे क्या कर रहे हैं, इससे ज़्यदा इस की फ़िक्र करें के हमें क्या करना है और हम यहाँ किस लिए आये हैं।
हज के ५ दिन आख़िरत के दिन की याद दिलाते हैं जब सारे इंसान एक जगह जमा होंगे और सब एक ही हालत में होंगे।
हज के ५ दिन में से ४ दिन मिना टेंट में, एक दिन अराफात टेंट में और एक रात मुज़दलफा में खुले मैदान में रहना होता है।
मुज़दलफा, मिना और अराफात के बिच में हैं।
छट्टे दिन (१३ तारिख को) भी आप रुकना चाहे तो रुक सकते हैं।
हज कमिटी की बस छठे दिन वापस होटल पर ले जाती है।
हाजी के लिए ईद की नमाज़ नहीं है।
आपका सफर बस से है ये मेट्रो से, इसकी मालूमात हज खादिम या मौल्लिम से ले लें।
मेट्रो के सफर में अज़ीज़िया से मिना टेंट बस का सफर होता है और मिना से अराफात और मुज़दलफा मेट्रो ट्रैन। मुअल्लिम आपको बताएँगे कब निकलना है।
मेट्रो स्टेशन तक २० -२५ मिनट चल कर पैदल जाना है, और मेट्रो ट्रैन में नंबर आने तक २-३ घंटे इंतज़ार करना है।
बस से हज करने वाले हाजियों को सहूलत के लिए मिना और अराफात में एक रात पहले ही ले जाना शुरू हो जाता है।
टेंट में चार्जिंग पॉइंट,बिस्तर, ए-सी और नज़दीक में टॉयलेट/बाथरूम का इन्तेज़ान सऊदी हुकूमत की जानिब से होता है।
मिना में हर हाजी को बगैर खुशबु वाला साबुन, शैम्पू और टूथपेस्ट ब्रश भी दिया जाता है।
मिना टेंट में खाना तक़सीम होते वक़्त, खाना तक़सीम करने वालों की मदद करें। ताके सब को खाने के पैकेट आसानी से मिल जाए।
हज के ५ दिनों में ज़्यदा से ज़्यदा तलबिया पढ़ते रहें, इसमें काफी कमी पायी गयी है।
हज के ५ दिन की पुलिस को रास्तों की ज़्यदा मालूमात नहीं होती है और उन्हें सिर्फ अरबी भाषा ही आती है। कुछ NGO हाजियों को रास्ता बताने की खिदमत करते हैं ।
मिना में हज कमिटी ऑफिस के तरफ से फ्री मेडिकल कैंप और डिपोसिट दे कर व्हील चेयर मिलती है।
पूरा हज आप पैदल भी कर सकते है। इसमें आपको ५ दिनों में होटल रूम से ले कर तकरीबन ५० किलो मीटर चलना होगा, पैदल हाजियों के लिए अलग रस्ते बनाये गए हैं।
हज कमिटी से जाने वालों के लिए, हज के ५ दिन के लिए और मदीना के लिए बस का इंतेज़ाम करना मुअल्लिम की ज़िम्मेदारी होती है.
हज के ५ दिन टैक्सी के किराये बहोत ज़्यदा होते हैं, २००-३०० रियाल या ज़्यदा भी होते है।
भगदड़ से बचने के लिए कभी भी रस्ते बंद करके दूसरे रास्ते की तरफ भेजा जाता है।
मिना टेंट में हज के तीसरे दिन सर के बाल निकलने के लिए कोई दुकान नहीं होती है, टेंट में सफाई करने वाले 5-10 रियाल में ये सेवा देते हैं।
अराफात जाते वक़्त आप अपना सामान मिना के टेंट में भी रख सकते हैं। सिर्फ ज़रुरत का और मुज़दलफा में लगने वाला सामान लें।
डिहाइड्रेशन (पसीना बहना) से कमज़ोरी आसक्ति है। इसलिए ज़्यदा पानी,ORS /एलेक्ट्रोल पीते रहें।
हज के ५ दिन में रास्ता भूल जाना एक बहोत आम बात है और अक्सर लोगों के साथ होता है।
अपने अपने रूम और बिल्डिंग में दूसरे हाजियों की तरबियत, नमाज़, क़ुरान और तालीम के हलके लगाएं।
विडियो रेफरेन्सेस:
१) https://youtu.be/ihSbkPbWqNw
२) https://youtu.be/dwzAaPLH2DQ
३) https://youtu.be/TeoXz0Eq2zk
४) https://youtu.be/84JEyoKdBhc
५) https://youtu.be/a_g_NwWrBbw
६) https://youtu.be/qM6OamahNkw
७) https://youtu.be/pF7R38JOd5Y
1. हज के 5 दिन में से 4 दिन मिना के टेंट में रहना है।
2. मिना में क़ियाम (रुकना) सुन्नत है।
3. मिना में मर्दों और औरतों के अलग अलग टेंट होते हैं।
4. खाने का इंतेज़ाम सऊदी मुअलमिम की तरफ से होता है। जो के बिलकुल फ्री होता है।
5. टेंट में ए.सी , सोने के लिए बिस्तर , और इलेक्ट्रिक कनेक्शन होता है।
6. टेंट से लग कर टॉयलेट ,बाथरूम और वज़ू खाने होते हैं।
7. टेंट में ही नमाज़ें अदा करनी हैं।
8. मर्द छोटी छोटी जमातें बना लें और औरतें अकेले (इन्फ्रादि) पढ़ लें।
9. नमाज़ २ रकअत पढ़नी है या ४ , उलेमा से पूछ लें।
10. टेंट पहुंचते ही टेंट नंबर , रास्ते का नाम और पोल नंबर याद रखें।
11. करंट व्हाट्सप्प लोकेशन किसी दूसरे व्हाट्सप्प नंबर पर भेज कर रखें।
12. टेंट से बहार निकलने के बाद टेंट में वापस जाते वक़्त अक्सर हाजी रास्ता भूल जाते हैं।
13. मिना में टेंट ३ तरह के होते हैं , A ,B और C और VIP
14. बाथरूम और वुज़ू खाने से टेंट वापस आते वक़्त भी बुज़ुर्ग हाजी रस्ते भूल जाते हैं, इसलिए टेंट का नंबर ध्यान रखें।
15. मुज़दलफा से मिना और रमी जमरात (शैतान को कंकरी ) से वापस आते वक़्त अक्सर हाजी अपने टेंट का रास्ता भूल जाते हैं।
video reference: https://youtu.be/A5KS06HOZeI
हज के दूसरे दिन (९ ज़ुल हिज्जा ) को फज्र से मगरिब तक हाजी अराफात में रुकते हैं।
अराफत में क़ियाम(रुकना) फ़र्ज़ है , अगर नहीं रुके तो हज नहीं होगा और अगले साल फिर से हज करना होगा।
हज कमिटी से जाने वालों हाजियों को अराफात में ले कर जाना ये सऊदी मुअल्लिम की ज़िम्मेदारी है।
कम से कम ५ मिनट रुकने से फ़र्ज़ अदा होजायेगा।
अराफात के दिन को रुक्न आज़म भी कहा जाता है।
अराफात में हाजियों और हज्जन के लिए अलग अलग टेंट और सऊदी हुकूमत की तरफ से खाने का फ्री में इंतेज़ाम होता है।
अराफात के दिन दूध पीना सुन्नत है।
अराफात के दिन का खास अमल सिर्फ और सिर्फ दुआ करना है।
अराफात में ज़ोहर और असर की नमाज़ पढ़नी है और मगरिब और ईशा मिला कर मुज़दलफा जाके पढ़ना है।
अराफात के मैदान में ही जबल रहमत पहाड़ भी है जहाँ अल्लाह के नबी ने अपने एकलौते और आखिरी हज (हज्जतुल वदा ) का खुत्बा/बयान दिया।
आप (अगर जाना चाहें तो ) गूगल लोकेशन लगा कर जबल अल रहमत को जा सकते हैं।
विडियो रेफेंस : https://youtu.be/yEvftNFRRRw
सब से पहले नियत सही कर लें। अल्लाह को राज़ी करने और अल्लाह का हुकुम पूरा करने की नियत हो। दूसरों को दिखाने या किसी और चीज़ की नियत न हो। (सूरह अल बक़रह की आयात नंबर १९६ और १९७ (وَأَتِمُّوا۟ ٱلْحَجَّ وَٱلْعُمْرَةَ لِلَّهِ ۚ) का तर्जुमा पढ़ें )
हज में काफी चलना पड़ता है। इसलिए पहले से ही चलने की आदत डालें।
क़ुरान की तफ़्सीर, अल्लाह के नबी की ज़िन्दगी (सीरत) हज की किताबें खरीदें और पढ़ना शुरू करें।
मक्काः और मदीना की ज़ियारत करते वक़्त जिस मक़ाम पर जाएँ, जाने के पहले उस मक़ाम के बारे में पढ़ लें।
नमाज़ का तरीक़ा और नमाज़ में पढ़ने की चीज़ें सही कर लें।
फ़र्ज़ नमाज़ के बाद पढ़ने वाले ज़िक्र अज़कार याद करना।
औरतें जनाज़े और जमात से नमाज़ पढने का तरीका और मसाइल सीखें।
कम से कम क़ुरान का आखिरी पारा या ३० सूरतें याद कर ले। ताके नमाज़ में बदल बदल कर सूरतें पढ़ सकें। और लम्बी नमाज़ भी पढ़ सकें।
जिन लोगों के आपसे दुआ में याद रखने कहा है, उनके नामें की लिस्ट बना लें।
किसी का क़र्ज़ लौटना है तो वापस कर दें।
बहन भाइयों की जायदाद का हिस्सा दबाया है तो उसे पहले वापस कर दें।
ऑनलाइन या ऑफलाइन (मस्जिद /हॉल) ट्रेनिंग प्रोग्राम में जाना शुरू करें।
सऊदी पहोंच कर वहां किसी भी तरह की ट्रेनिंग नहीं दी जाती है। आपको यही से ट्रेनिंग हासिल करना है।
जो लोग पहले हज या उमराह जा चुके हैं, उनसे कांटेक्ट/राब्ते में रहे।
इस साल जाने वाले हाजियों के कांटेक्ट में रहें।
इस साल के रूल्स और रेगुलेशन क्या हैं, इसकी भी जानकारी रखें।
जाने के पहले रिश्ते दारों से मिल लें और माफ़ी तलाफ़ी कर लें।
बुज़ुर्ग हाजी व्हाट्सप्प लोकेशन और नुसुक ऍप चलना सीख लें।
मुज़दलफा में रुकना/क़ियाम वाजिब है।
अगर नहीं रुके तो दम देना होगा और दम भी नहीं दिया तो हज नहीं होगा।
मुज़दलफा में क़याम मुज़दलफा की बॉउंड्री में ही करना है।
मुज़दलफा के साइन बोर्ड देख कर ही क़ियाम करें।
अराफात से बस या मेट्रो से मुज़दलफा आएं। मुअल्लिम से राब्ते में रहें।
मुज़दलफा में आपको जहाँ जगह मिले, वहां रुकना है।
मुज़दलफा में जहाँ टॉयलेट नज़दीक है, आप वहां क़ियाम करें।
अराफात से मुज़दलफा तकरीबन १० किलो मीटर है।
मुज़दलफा में रुकने के बाद पहले मगरबी पढ़ लें और ईशा।
मुज़दलफा में टेंट नहीं होते और खाने के इंतेज़ाम भी खुद से करना है।
रात भर जितनी हो सकते इबादत दुआ में रहें।
तहज्जुद और फज्र बाद , सूरज निकलने के बाद मिना की तरफ रवाना हों।
मुज़दलफा से वापसी पर मिना में वही टेंट और बिस्तर में रहना है, जहाँ पहले दिन रुके थे।
मुज़दलफा से मिना वापसी के लिए बस होती है पर अक्सर हाजी पैदल आते हैं, ५-७ किलो मीटर चलना होगा।
मुज़दलफा से वापसी में जल्दी न करें।
मुज़दलफा से आप जमरात जा सकते हैं या मिना टेंट आकर फिर जमरात जा सकते हैं।
मुज़दलफा में आपको एक हाजी के हिसाब से नीचे दी हुवी मिक़्दार में कंकरी जमा करनी है।
तीसरा दिन - 7
चौथा दिन - 21
पांचवा दिन - 21
छठा दिन (एक्स्ट्रा) - 21
टोटल - 70 (एक्स्ट्रा ५-६ कंकर ले लें )
हज के तीसरे दिन ,रमी जमरात (बड़े शैतान को कंकरी) के बाद क़ुरबानी करना है।
क़ुरबानी को अदाही भी कहते हैं।
क़ुरबानी के बाद एहराम निकालना है।
रमी जमारात ➡️ क़ुरबानी ➡️ बाल हलक़ करना ➡️ एहराम निकालना, ये तरतीब से करना वाजिब और ज़रूरी है।
हज में क़ुरबानी शुक्राने की क़ुरबानी है , आपको इंडिया में भी क़ुरबानी करनी है ।
हज कमिटी से जाने वाले हाजी हज कमिटी से क़ुरबनी अदा कर सकते हैं। यह १००% भरोसे मंद है।
हज कमिटी सऊदी हुकूमत के साथ मिल कर काम करती है।
अगर आपने इंडिया से क़ुरबानी नहीं ली है तो, आप सऊदी पहुंच कर मक्काः में सऊदी गवर्नमेंट से भी क़ुरबानी कूपन ले सकते हैं , क्लॉक टावर के नज़दीक। नीचे वीडियो दी गयी है।
हज कमिटी से क़ुरबानी देने पर आपको गोश्त नहीं मिलता है।
कूपन दिया जायेगा उसमें QR Code होगा।
आपको ये कोड हज के तीसरे दिन स्कैन करना है , अगर executed दिखाई दे मतलब आपकी क़ुरबानी होगयी।
क़ुरबानी अदा होने के बाद मिना के टेंट में सर के बाल हलक़ करके एहराम निकलना है।
हज कमिटी की क़ुरबानी दोपहर में ३-४ बजे तक होगी। इससे पहले आपको बड़े शैतान को कंकरी मरना है।
अगर आपको किसी और से क़ुरबानी करना हो तो आप कर सकते हैं।
क़ुरबानी का गोश्त मिलने वाला है या नहीं ये भी पूछ लें और किस दिन मिलेगा ।
जानवर ज़िबह करने के लिए आप जा तो सकते हैं पर रास्तों में भीड़ की वजह से जाना इतना आसान नहीं है।
अगर किसी वजह से तीसरे दिन क़ुरबानी न हो सकी तो आपको चौथे दिन क़ुरबानी दे कर एहराम निकलना है।
https://youtu.be/eo4FWhaHk4s
https://youtu.be/ljGva5tUufA
1. तवाफ़ ज़ियारत एक फ़र्ज़ अमल है।
2. हज के तीसरे,चौथे या पांचवे दिन की मगरिब के पहले तक करना है।
3. तवाफ़ ज़ियारत एहराम की हालत में भी कर सकते हैं और नार्मल कपड़ों में भी।
4. तवाफ़ ज़ियारत के बाद मिना टेंट में वापस जाना है। मिना में रात में क़ियाम करना सुन्नत है।
5. अगर आप जाना चाहे तो कुछ देर के लिए आप होटल रूम पर भी जा सकते हैं।
6. तवाफ़ ज़ियारत के बाद साफा मरवा सई भी करना है।
7. तवाफ़ ज़ियारत के बाद ही मियां बीवी आपस में एक दूसरे के लिए हलाल हैं।
https://youtu.be/Yx_m-LV1fkk
अरबी मुअल्लिम, उसके इंडियन असिस्टेंट और इंडियन हुकूमत के हज खादिम का मोबाइल नंबर सेव कर लें।
हज की किताबें, ऐंड्रोइड/स्मार्ट फ़ोन साथ रखें और उलेमा से राब्ता बनायें रखें।
कीपैड वाला फ़ोन इस्तेमाल न करें।
हज के ५ दिन आप एक अच्छी मोबाइल पावर बैंक साथ रखें और हो सके तो २ पॉवरबैंक साथ लें।
किसी भी अमल का वक़्त शुरू कब होता है और ख़तम कब होता है, ये ध्यान रखें।
अमल को जल्दी करने की फ़िक्र में आपको भीड़ और गर्मी की वजह से तकलीफ हो सकती है।
वापसी के लिए टेंट नंबर, रास्ता नाम, पोल नंबर और नज़दीकी कोई खास निशान याद रख लें।
टेंट में जाते ही किसी दूसरे को व्हाट्सप्प टेंट करंट मैप लोकेशन भेज कर रखें।
मुज़दलफा से मिना वापसी के लिए जल्दी न करें। इस वक़्त लाखों की तायदाद में तमाम हाजी मिना के तरफ चलते हैं।
मुज़दलफा से मिना और शैतान को कंकरी मार कर वापसी पर रास्ता भूलने के ज़्यदा चान्सेस हैं।
बगैर इंटरनेट के चलने वाले ऑफलाइन मैप भी डौन्लोड करें (here map/google offline map)
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.here.app.maps&hl=en&gl=US here map
मोबाइल फ़ोन में व्हाट्सप्प करंट लोकेशन भेजना और मैप चलाना पहले सीख लें और बाकि हाजियों को भी सिखाएं।
व्हाट्सप्प पर करंट लोकेशन भेजना है, लाइव नहीं
हज के तीसरे दिन बड़े शैतान को कंकरी मारने या तवाफ़ ज़ियारत के बाद अगर आप जाना चाहे तो अपने रूम/होटल पर जा सकते हैं, होटल रूम से फिर मिना के टेंट में वापस आए। रात में मिना में (क़ियाम)सोना सुन्नत है
अरबी में राईट(यमीन), लेफ्ट(यसार), सीधा (सीधा) बोलना और १० तक गिनती सीख लें , आपको फ़ायदा होगा।
अगर पुलिस से बात करने की ज़रुरत पड़े तो गूगल ट्रांसलेट का इस्तेमाल करें।
अगर लिखी हुवी अरबी को समझना है तो गूगल लेंस ऐप का इस्तेमाल करें।
1. हज के तीसरे दिन (१० ज़ुल हिज्जः) सिर्फ बड़े (आखरी) शैतान 7 को कंकरी मारना है। सूरज निकलने से ले कर अगले दिन फज्र के वक़्त से पहले तक होता है।
2. हज के चौथे , पांचवे दिन (और छटा दिन) तीनो शैतानों को 7 -7 कंकरी मरना है। सूरज ढलने (ज़वाल/ज़ोहर के वक़्त) से कर अगले दिन फज्र के वक़्त से पहले तक होता है।
3. हज के छठे दिन दिन भी तीनों शैतान को कंकरी मार सकते हैं।
4. तीसरे दिन शैतान को कंकरी मार कर ही क़ुरबानी करना है और एहराम निकलना है। अगर ये तरतीब फॉलो नहीं हुवी तो दम देना होगा।
5. मगरिब के बाद भी रमी कर सकते हैं। मर्दों के लिए ऐसा करना मकरूह है, ज़्यदा गर्मी हो तो ऐसा कर सकते हैं।
6. शैतान को कंकरी मरने के लिए जाने का और वापस आने का रास्ता अलग अलग होता है और अक्सर हाजी वापसी में रास्ता भूल जाते हैं।
7. टेंट वापसी के लिए टेंट लोकेशन और रस्ते का पोल नंबर याद रखना ज़रूरी है।
8. जाते वक़्त और वैसे के वक़्त ज़्यदा पानी और ORS पानी पीते रहें।
9. तीसरे/चौथे या पांचवे दिन रमी जमारात से तवाफ़ ज़ियारत के लिए हरम जाना है।
10. तीसरे दिन मुज़दलफा से डायरेक्ट रामी जमरात को जा सकते हैं या मुज़दलफा से मिना टेंट जा कर भी रमी जमरात का सकते हैं।
1. बुज़ुर्ग हाजी अपनी सेहत का ख्याल रखें।
2. अपनी दवाइयां साथ रखें।
3. ज़्यदा से ज़्यदा पानी पीते रहें।
4. एन्ड्रोइड स्मार्ट फ़ोन चलना सीखें। कीपैड वाला छोटा फ़ोन न रखें।
5. व्हीलचेयर साथ हो तो व्हीलचेयर लॉक भी रख लें।
6. अपने मिज़ाज को ठंडा रखें।
7. गुम हो जाने पर परेशां न हों। सभी हज कमिटी से दिए हुवे कार्ड साथ में रखें।
8. किसी जवान हाजी के साथ हज के ५ दिन के लिए जोड़ी बना लें और उनकी बात सुने भी।
9. मोबाइल पावर बैंक साथ में रखें।
1. नबी ﷺ की इजाज़त
ख़सअम क़बीले की एक औरत ने पूछा:
> “या रसूलल्लाह ﷺ! मेरे पिता बूढ़े हो गए हैं, वह सवारी पर मज़बूती से नहीं बैठ सकते। क्या मैं उनकी ओर से हज कर सकती हूँ?”
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“हाँ, उनकी ओर से हज करो।”
📖 सहीह बुख़ारी (1513), सहीह मुस्लिम (1334)
2. हज का फ़र्ज़ अदा हो जाता है
एक शख़्स ने नबी ﷺ से पूछा:
> “या रसूलल्लाह! मेरे पिता बहुत बूढ़े हैं, सफ़र करने की ताक़त नहीं रखते। क्या मैं उनकी ओर से हज कर सकता हूँ?”
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“अपने बाप की तरफ़ से हज और उमरा करो।”
📖 सुन्नन अबू दाऊद (1810), जामे तिर्मिज़ी (930)
3. दोनों को सवाब मिलता है
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“जब कोई शख़्स किसी और की तरफ़ से हज करता है, तो हज का सवाब उस तक पहुँचता है जिसके लिए किया गया, और करने वाले को भी सवाब मिलता है।”
📖 अल-शाफ़ेई (अल-उम्म), इब्ऩ क़ुदामा (अल-मुग़नी) – उलेमा का इत्तेफ़ाक़
4. वालिदैन की ख़िदमत का ज़रिया
वालिदैन की ओर से हज-ए-बदल करना, चाहे वह न कर पाएँ या उनका इंतिक़ाल हो चुका हो, एक बड़ी नेक़ी और आज्ञाकारिता है।
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“बेटा अपने बाप का क़र्ज़ चुका सकता है; हज भी अल्लाह का क़र्ज़ है, तो अल्लाह का क़र्ज़ अदा करो, क्योंकि अल्लाह इस बात का सबसे ज़्यादा हक़दार है कि उसका क़र्ज़ अदा किया जाए।”
📖 सहीह बुख़ारी (6699), सहीह मुस्लिम (1148)
✅ फ़ज़ाइल का ख़ुलासा
*हज-ए-बदल जाइज़ और सहीह है, बशर्ते कि जिसके लिए किया जा रहा है, उसके पास माल और क़ुव्वत थी लेकिन बीमारी, कमज़ोरी या मौत की वजह से खुद अदा न कर सका।
इसका सवाब पूरा-पूरा उस तक पहुँचता है जिसके लिए किया गया और करने वाले को भी सवाब मिलता है।
यह अल्लाह का क़र्ज़ अदा करना है।
काबा शरीफ़ के चार कोनों के नाम उस दिशा के अनुसार रखे गए हैं, जिनकी ओर वे मुख किए हुए हैं:
यमनी कोना (Al-Rukn al-Yamaani) – दक्षिण दिशा की ओर
हजरे अस्वद वाला कोना (Al-Hajar al-Aswad) – पूर्व दिशा की ओर
शामी कोना (Al-Rukn al-Shaami) – पश्चिम दिशा की ओर
इराक़ी कोना (Al-Rukn al-‘Iraaqi) – उत्तर दिशा की ओर
1️⃣ मक्का से ताइफ़ – 120 किलोमीटर
2️⃣ मक्का से जेद्दा – 72 किलोमीटर
3️⃣ मक्का से हवाई अड्डा (जेद्दा) – 74 किलोमीटर
हरम क्षेत्र (Haram Area)
🔹 हरम क्षेत्र क्या है?
जिस क्षेत्र में कुछ कार्य, जो अन्य जगहों पर जायज़ हैं, मना कर दिए गए हों, उसे “हरम” कहा जाता है।
➡ यह पवित्र स्थान अल्लाह द्वारा चुना गया और इज़्ज़त दी गई जगह है।
➡ हज़रत मुहम्मद ﷺ ने फ़रमाया:
"इस क्षेत्र में खून बहाना, पेड़ काटना, शिकार करना, खुले स्थान पर शौच करना और खोई हुई चीज़ उठाना (मालिक तक पहुँचाने के अलावा) जायज़ नहीं है।"
➡ यहाँ सिर्फ़ मुसलमानों को प्रवेश की अनुमति है।
➡ लड़ाई-झगड़ा करना, पेड़ काटना और शिकार करना सख़्ती से मना है।
➡ मुसलमानों को चाहिए कि इस क्षेत्र की पवित्रता और महानता का पूरा एहतिराम करें और अच्छे आमाल (नेकी के काम) ज्यादा से ज्यादा करें।
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हरम क्षेत्र की सीमाएँ (Boundaries of the Haram Area)
हरम क्षेत्र अल्लाह की बरकतों से भरा हुआ है। यहाँ इबादत का इरादा किया जाता है और नमाज़ व इबादतों का सवाब दोगुना हो जाता है।
📍 सीमाएँ इस प्रकार हैं:
1️⃣ उत्तर (North) – मक्का से 5 किलोमीटर, सैय्यदा आयशा (रज़ि०) मस्जिद तक।
2️⃣ दक्षिण (South) – मक्का से 20 किलोमीटर, मस्जिदुल हराम से अरफ़ात की तरफ़।
3️⃣ पश्चिम (West) – मक्का से 18 किलोमीटर, जेद्दा की तरफ़ अल-हुडैबिया इलाक़े तक।
4️⃣ पूर्व (East) – मक्का से 14.5 किलोमीटर, जु‘राना (Ju’ranah) तक।