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ज़मज़म की शुरुवात हज़रत इस्माइल (अ) और उनकी माँ हज़रत हाजरा (अ) से है।
जब अल्लाह के हुकुम से हज़रत इब्राहिम (अ) ने उनके बेटे हज़रत इस्माइल (अ) और उनकी बीवी हज़रत हाजरा(अ) को मक्काः में छोड़ा।
उस वक़्त मक्काः एक वीरान ज़मीन थी जिसमें खेती भी नहीं हो सकती थी।
जब हज़रत हाजरा (अ) के पास पानी ख़तम हुवा और उन्हों ने २ पहाड़ों (सफा और मरवा) के दरमईयां पानी की तलाश में दौड़ लगायी तो अल्लाह ने ज़मज़म का पानी जारी किया ।
ज़मज़म इब्रानी ज़बान का लफ्ज़ है , इसके मानी हैं रुक जा।
जब पानी जारी हुवा और रुका नहीं तो हज़रत हाजरा (अ) ने कहा ज़मज़म (रुक जा)
अब ज़मज़म का कुवां दिखाई नहीं देता।
हरम में जगह जगह ज़मज़म के कैन लगे हुवे हैं।
हर कैन पर लिखा है ठंडा और नॉर्मल।
हज कमिटी से जाने वाले हाजियों को रोज़ाना 300ml ज़मज़म रूम पर दिया जाता है।
आप ठंडा ज़मज़म पानी न पीएं। आपकी तबीयत ख़राब हो सकती है।
मुसलमान की शान है के वो ज़मज़म खूब पीता है और मुनाफ़िक़ की निशानी है के वो ज़मज़म ज़्यादा नहीं पीता।
मदीना में ५लिटर या ज़्यादा ज़मज़म के लिए गेट नंबर ३०९ पर हैं
हज से इंडिया वापसी पर इंडिया एयरपोर्ट पर ५ लीटर जमजम दिया जाते हैं।
ज़मज़म लोगों में देते वक्त सादा पानी मिक्स न करें।
Video Title 1: ज़मज़म की तारिख
Video Title 2: मदीना में ज़मज़म कैन भरने के लिए
1. धरती का सबसे बेहतरीन पानी
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“ज़मज़म पानी धरती का सबसे अच्छा पानी है। यह खाने (भोजन) की जगह लेने वाला और बीमारी से शिफ़ा देने वाला है।”
(इब्न-ए-हिब्बान, अत-तबरानी)
2. बरकत वाला पानी
ज़मज़म का पानी बरकतों से भरा हुआ है। इसे सच्चे दिल से पीने वाला इंसान दुन्या और आख़िरत दोनों में फ़ायदा पाता है।
3. नीयत के मुताबिक़ फ़ायदा
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“ज़मज़म का पानी जिस नीयत से पिया जाए, उसी चीज़ के लिए फ़ायदा देता है।”
(इब्न माजह)
👉 अगर स्वास्थ्य की नीयत से पिएँ तो अल्लाह तंदुरुस्ती देते हैं।
👉 अगर इल्म की नीयत से पिएँ तो अल्लाह इल्म अता करते हैं।
👉 अगर ताक़त की नीयत से पिएँ तो अल्लाह ताक़त बख़्शते हैं।
4. गिज़ा और शिफ़ा
ज़मज़म पानी सिर्फ़ पीने का पानी ही नहीं बल्कि ग़िज़ा (भोजन) भी है।
अल्लाह की मर्ज़ी से यह कई बीमारियों का इलाज भी है।
5. खड़े होकर पीना सुन्नत है
रसूलुल्लाह ﷺ ने ज़मज़म पानी खड़े होकर पिया।
(सहीह बुख़ारी, सहीह मुस्लिम)
6. फ़रिश्तों ने इस्माईल (अ.स.) के लिए निकाला
ज़मज़म अल्लाह की तरफ़ से एक करामाती तोहफ़ा है, जब फ़रिश्ता जिब्रील (अ.स.) ने इसे छोटे इस्माईल (अ.स.) और उनकी वालिदा हाजरा (र.अ.) के लिए निकाला।
✨ ख़ुलासा (Summary):
ज़मज़म बरकतों, ग़िज़ा और शिफ़ा का बे-मिसाल पानी है। इसे नीयत के साथ, क़िब्ले (काबा) की तरफ़ रुख करके, खड़े होकर, बिस्मिल्लाह पढ़कर और दुआ के साथ पीना चाहिए।